HNS DESK | अगर पत्नी के नाम पर बैंक अकाउंट है और वह इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) नहीं फाइल करती हैं तो आईटीआर फाइल करते समय आपको उनके अकाउंट में जमा रकम को इग्नोर नहीं करना चाहिए। आईटीआर भरने के दौरान अगर आप यह अकाउंट डिक्लेयर नहीं करते हैं या कोई दूसरे स्रोत से बताकर टैक्स स्लैब के तहत मिलने वाली छूट का लाभ लेते हैं तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आय छिपाने के मामले में आप पर एक्शन ले सकता है। सीए कार्तिक गुप्ता ने बताया कि ऐसी स्थिति में पकड़े जाने पर आपको स्क्रूटनी और पेनाल्टी का सामना करना पड़ सकता है।
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय आपको अपने सभी बैंक अकाउंट के साथ-साथ वाइफ और बच्चों के बैंक अकाउंट में रखे गए धन की सही-सही जानकारी देनी होती है। इसके अलावा अगर आप अपने बच्चे या पत्नी के नाम पर कोई अचल सम्पत्ति खरीदते हैं तो उसकी भी जानकारी देनी होगी। कार्तिक गुप्ता के अनुसार, यदि इनकम टैक्स विभाग करदाता के पास से ऐसा धन पाता है, जिसके बारे में रिटर्न दाखिल करते समय जानकारी नहीं दी गई है या उसने उसे दूसरे स्रोत से बताया है तो ऐसी स्थिति में करदाता को धन की प्रकृति और स्रोत के बारे में स्पष्टीकरण देना होता है।
उसके द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण से अगर मूल्यांकन अधिकारी संतुष्ट नहीं होता है तो इस आय को करदाता की आय माना जाएगा और आयकर कानून के तहत इस पर टैक्स और जुर्माना वसूला जाएगा। कार्तिक गुप्ता ने बताया कि इसे इस तरह आसानी से समझा जा सकता है कि कोई करदाता आईटीआर फाइल करते समय घोषित करता है कि कुछ धन उसकी पत्नी ने ट्यूशन आदि से कमाया है और इसी आधार पर टैक्स छूट का लाभ लेता है। इसके बाद कर अधिकारी के कहने पर वह इस इनकम को प्रूफ नहीं कर पाता है तो मूल्यांकन अधिकारी उस पर एक्शन ले सकता है।
ऐसी परिस्थितियों में, मूल्यांकन अधिकारी आयकर अधिनियम की धारा 68 और 115 बीबीई के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करता है। इसका मतलब है कि ऐसी आय पर विभाग 60 प्रतिशत की दर से कर वसूलेगा। इसमें करदाता को किसी भी तरह की छूट और कटौती का लाभ नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा इस कर अमाउंट पर 25% अधिभार भी लगाया जाएगा। इस प्रकार प्रभावी रूप से यह दर 77.25 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। इसके साथ ही अघोषित आय पर 10% की पेनाल्टी भी लगाई जा सकती है। इस तरह प्रभावी दर छिपाई गई रकम का 83.25 प्रतिशत तक हो जाती है।
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